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अपनों की आशा….

true words
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तुमसे लगी है अपनों की आशा
तुम्हे हर कदम आगे बढ़ना पड़ेगा।
तुम्हे चाँद कहके खिलाती थी माँ
तुम्हे सूरज जैसा चमकना पड़ेगा।
तुमसे लगी है अपनों की आशा
तुम्हे हर कदम आगे बढ़ना पड़ेगा।
थुम बूढ़ी आँखो की तस्वीर हो
तुम द्रोपदी का बढ़ा चीर हो।
अँधेरा बढ़ेगा कहीं पर अगर
रोशनी के लिये तुमको जलना पड़ेगा।
तुमसे लगी है अपनों की आशा
तुम्हे हर कदम आगे बढ़ना पड़ेगा।
कष्टों मे माँ जब आँसू बहाती
किसी से ना कहती दिल मे छुपाती।
सोंचती एक खुशिओं का दिन आयेगा
जब बच्चा मेरा कुछ बन जायेगा।
इन्हीं हैंसलों और दुआँओं को लेकर
तुम्हे मुश्किलों से भी लड़ना पड़ेगा।
तुमसे लगी है अपनों की आशा
तुम्हे हर कदम आगे बढ़ना पड़ेगा।
पिता ने की हम पर खुशिओं की छाया
खुद रो लिये पर हमको हँसाया।
ये जो भी हमारे लिये ही जिये हैं
हमे इनकी जरूरत पे मरना पड़ेगा।
तुमसे लगी है अपनों की आशा
तुम्हे हर कदम आगे बढ़ना पड़ेगा।
अच्छाइयों को मन मे भरो कठिनाइयों से कभी ना डरो
अब घोंसलों मे नही है जगह
जरा पंख खोलो उड़ना पड़ेगा।
तुमसे लगी है अपनों की आशा
तुम्हे हर कदम आगे बढ़ना पड़ेगा।

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