Menu
blogid : 15909 postid : 762845

मजदूर…

true words
true words
  • 28 Posts
  • 49 Comments

मजदूर परिश्रम की गाथा गाता है।
लड़ जाता हर दुख से ना घबराता है।
मजदूर परिश्रम की गाथा गाता है।
अपने पौरुष के बल पर चोटी चढ़ता है।
बहा पसीना तेज धूप मे रोटी गढ़ता है।
पत्नी बच्चों की खातिर तन पिघलाता है।
मजदूर परिश्रम की गाथा गाता है।
तेज धूप को छाँव बना लेता।
हर घर को अपना गाँव बना लेता।
पर तिरस्कार मे जीता मर जाता है
मजदूर परिश्रम की गाथा गाता है।
बोझ उठा लेता गैरों की गाड़ी का।
पलंग बना लेता काँटों की झाड़ी का।
जो भी है मेहनत के बल पर पाता है।
मजदूर परिश्रम की गाथा गाता है।
सुनसान रहे गुमनाम रहे पहचान रहेगी पर उसकी।
सम्मान मिले ना मान मिले शान रहेगी पर उसकी।
दुख मे भी बो सुख सा रह जाता है।
मजदूर परिश्रम की गाथा गाता है।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh