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जो कुछ भी मैं लिखता हूँ तुम खुद आके लिखबाती हो….

true words
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जो कुछ भी मैं लिखता हूँ तुम खुद आके लिखबाती हो।
माना हमसे दूर सही पर इस दिल मे रह जाती हो।
शब्दों की तुम रेखा हो मन के तार बजाती हो।
मैं नही स्वयं कुछ लिखता हूँ तुम खुद कविता बन जाती हो।
जो कुछ भी मैं लिखता हूँ तुम खुद आके लिखबाती हो।
मेरी साँसों संग तुम चलती हो।
मेरे जीवन संग तुम बढ़ती हो।
मेरे होंठो से तुम हँसती हो।
मेरी आँखों मे दिख जाती हो।
जो कुछ भी मैं लिखता हूँ तुम खुद आके लिखबाती हो।
मै किरण बनूँ या रवि बन जाऊँ।
मै गीतकार या कवि बन जाऊँ।
मै कितने भी आयाम गढ़ू।
पर रस्ते तुम्ही बनाती हो।
जो कुछ भी मैं लिखता हूँ तुम खुद आके लिखबाती हो।

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