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मेरा दीवाना बन जाना उनको रास नही आया।
परवाने का जल जाना खुद समा को नही भाया।
दुनिया की बातों मे आकर मेरी प्रीत ठुकरा डाली।
आज मुझे एहसास हुआ दिल है खाली और था खाली।
बो अपने बादों और कसमों से फिर जाना।
यकीं नही होता उसका इस हद तक गिर जाना।
जो वक्त मेरा बरबाद हुआ बो मुड़ के पास नही आया।
मेरा दीवाना बन जाना उनको रास नही आया।
आखिर मैंने कितना रोका बो अपनी जिद पर अड़े रहे।
बो मिलने भी नही आये हम इन्तजार में खड़े रहे।
पता नही उनकी ऐसी क्या मजबूरी थी।
जिसका हाँथ पकड़ के घूमे उससे इतनी दूरी थी।
अपनी पिछली बातों का उनको ध्यान नही आया।
मेरा दीवाना बन जाना उनको रास नही आया।
मुझको भी मजबूर किया तुम अपना मुख अब ना खोलो।
सच हो चाहे झूठ मगर अब तुम मुझसे ना बोलो।
पत्थर बो इतना होगी एहसास नही कर पाया था।
उसके लिए ही मर बैठा पर खास नही बन पाया था।
मैं इन्तजार में बैठा हूँ बो अब तक पास नही आया।
मेरा दीवाना बन जाना उनको रास नही आया।
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